नेक्रोफिलिया (शव कामुकता) : महिला के शव पर यौन हमला बलात्कार नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

नेक्रोफिलिया (शव कामुकता) : महिला के शव पर यौन हमला बलात्कार नहीं : कर्नाटक हाईकोर्ट

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  • June 7, 2023
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कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि किसी मृत महिला के साथ दुष्कर्म को आई पी सी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।

कोर्ट ने एक महिला की हत्या के बाद उसके साथ बलात्कार के दोषी को बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया।

जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ इस मामले में दोषी रंगराजु की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस मामले में  रंगराजु पर एक 21 साल की लड़की की हत्या कर उसके शव के साथ बलात्कार करने का आरोप था। निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 302 और 376 के तहत उसे दोषी क़रार दिया था।

हालांकि कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरक़रार रखा लेकिन उस पर शव के साथ बलात्कार के लगे आरोप को हटा दिया।

कोर्ट ने आईपीसी की धारा 46 के सन्दर्भ में कहा कि बलात्कार शव से नहीं इंसान से होना चाहिए। इसे किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध पूरा किया जाना चाहिए। एक मृत शरीर बलात्कार के लिए सहमति या विरोध नहीं कर सकता है, न ही यह तत्काल और गैरकानूनी शारीरिक चोट का डर हो सकता है। बलात्कार के अपराध की अनिवार्यता में व्यक्ति के प्रति आक्रोश और बलात्कार के पीड़ित की भावनाएँ शामिल हैं। एक मृत शरीर में आक्रोश की कोई भावना नहीं होती है। एक मृत शरीर पर संभोग कुछ और नहीं बल्कि नेक्रोफिलिया है।”

कोर्ट ने कहा कि इस मामले को आई पी सी की धारा 297 के तहत देखा जा सकता है जो अतिचार द्वारा मानव शव के अपमान से संबंधित है लेकिन अभियोजन का मामला यह है कि याची ने पीड़िता की हत्या करने के बाद उसके शव के साथ बलात्कार किया है। इस लिए अभियोजन के मामले को आईपीसी की धारा 375 और 376 के तहत परिभाषित यौन अपराध या अप्राकृतिक अपराध के रूप में नहीं देखा जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची / दोषी के अपराध को आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय बलात्कार नहीं कहा जा सकता।

हालांकि कोर्ट ने कहा कि मृत शव के साथ बलात्कार की बहुत सी घटनाएं उसके संज्ञान में लाई जाती हैं लेकिन दुर्भाग्य से भारत में महिला के मृत शरीर के प्रति सम्मान और अधिकारों और अपराधों की रक्षा के उद्देश्य से कोई विशिष्ट कानून नहीं बनाया गया है।

कोर्ट ने कहा कि हालांकि यह मामला अप्राकृतिक अपराध का है लेकिन दुर्भाग्य से आईपीसी की धारा 377 में शव को शामिल नहीं किया गया है इस लिए नेक्रोफिलिया के आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध का मामला नहीं बनता।

कोर्ट ने ब्रिटेन, कनाडा, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों का उदाहरण दिया जहाँ नेक्रोफिलिया के अपराध से निपटने के लिए विशिस्ट प्रावधान हैं।

कोर्ट ने केंद्र सरकार से आईपीसी की धारा 377 में संशोधन कर इसमें पुरुष, महिला या जानवर के शव को शामिल करने की सिफारिश के साथ राज्य सरकार को शव की गरिमा और उसके सम्मान को बनाए रखने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये।

केस : रंगराजु बनाम स्टेट ऑफ़ कर्नाटक (Criminal Appeal No. 1610/2017)

आदेश यहाँ पढ़ें –

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